इस दिन पवित्र नदी और मां का दर्जा रखने वाली गंगा मैया का जल बन जाता है अमृत

वैसे तो भारत में जितनी भी नदियां हैं शास्त्रों में उन सबकी विशेष महत्ता गयी है। हिन्दू धर्म में मान्यता है  कि अगर इन पावन नदियों में कोई भी इंसान साफ़ मन और सुधरने के इरादे से डुबकी लगाए तो इन नदियों के जल उस व्यक्ति के सभी पाप धुल कर उसे एक नया जीवन प्रदान कर देती हैं। यानी की किसी भी मायने में इन नदियों का जल अमृत से कम नहीं होता है लेकिन आज हम आपको साल के एक ऐसे ख़ास दिन के बारे में बताने जा रहे हैं जिस दिन के बारे में कहा जाता है कि इस दिन गंगा नदी का जल अमृत बन जाता है।   

इस दिन अमृत बन जाता है गंगा मैया का जल 

माघ मास में अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से जाना और मनाया जाता है। धार्मिक दृष्टि से इस अमावस्या का विशेष महत्व भी  बताया गया है। कहा जाता है कि यूँ तो गंगा-जल हमेशा ही पवित्र होता है लेकिन मौनी अमावस्या के दिन गंगा मैया का जल अमृत बन जाता है। मान्यता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था। इस अमावस्या के दिन संत लोगों की तरह बर्ताव करते हुए मौन रहना चाहिए।  मान लीजिए की आप मौन नहीं रह सकते हैं तो इस दिन कम से कम ये कोशिश तो करनी ही चाहिए कि आप किसी को कुछ गंदा, या कोई कटु वचन ना बोले।  

इस दिन पृथ्वी पर देवों और पितरों का होता है संगम :

मौनी अमावस्या की इतनी मान्यता इसलिए भी होती है क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन धरती पर हमारे पितरों और देवताओं का एक अनूठा संगम होता है। इस दिन पितरों का तर्पण करने की मान्यता होती है। कहा जाता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है।  मौनी अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा का प्रावधान होता है। 

इस दिन कैसे करें पूजा

इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में झंडा लगाया जाता है। इसके बाद भगवान शनि पर तेल अर्पित करें। इसके अलावा इस दिन अपनी इच्छाशक्ति से भगवान शनि को काला तिल, काली उड़द दाल, काला कपड़ा इत्यादि दान करें। इस दिन शिवलिंग पर काला तिल, दूध और जल अर्पित करें और हनुमान चालीसा का पाठ करें। दान और पुण्य के अलावा इस दिन स्नान का भी काफी महत्व बताया गया  है। इस दिन सूर्य देवता को अर्ध्य दिया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर से दरिद्रता दूर होती है।  

यहाँ जानें: साल 2020 में कब है मौनी अमावस्या 

मौनी अमावस्या के दिन का साफ़ सीधा अर्थ होता है कि इस दिन लोग अपने मन तो संयमित रखें। मन ही मन में भगवान  का ध्यान करें। ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में अमृत की बूंदें गिरी थीं, इसलिए ही यहां मौनी अमावस्या के दिन जप-तप, स्नान-दान का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों में इस बात का ज़िक्र है कि माघ मास में पूजा-अर्चन और नदी में स्नान करने से भगवान नारायण को प्राप्त किया जा सकता है।  इसके अलावा इन दिनों नदी में स्नान करने से स्वर्ग प्राप्ति का भी मार्ग मिल जाता है। इस दिन अगर आप किसी भी कारणवश नदियों में जाकर स्नान नहीं कर पाए तो आप घर में भी स्नान करके इसका पुण्य पा सकते हैं। इसके लिए स्नान से पहले आप पानी में थोड़ा सा गंगा-जल मिला लीजिए और उससे स्नान कर लीजिए।

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