शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि का समय आ गया है। आज के एस्ट्रोसेज के हमारे इस खास ब्लॉग में हम बात करेंगे नवरात्रि पंचमी तिथि से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों की और साथ ही जानेंगे कि इस दिन माता के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, मां का स्वरूप कैसा है, मां का पूजा मंत्र भोग और शुभ रंग क्या है।
साथ ही जानेंगे पंचमी तिथि के शुभ मुहूर्त के बारे में और शारदीय नवरात्रि की पंचमी तिथि पर किए जाने वाले अचूक उपायों की भी जानकारी। तो चलिए बिना देरी के शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले बात कर लेते हैं नवरात्रि की पंचमी तिथि के शुभ मुहूर्त की।
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शारदीय नवरात्रि 2024- पंचमी तिथि
वर्ष 2024 में नवरात्रि के छठे दिन पंचमी तिथि पड़ रही है। अर्थात 8 अक्टूबर 2024 मंगलवार के दिन नवरात्रि की पंचमी तिथि पड़ेगी और इस दिन माँ स्कंदमाता की पूजा का विधान बताया गया है। बात करें इस दिन के हिंदू पंचांग की तो इस दिन पंचमी तिथि रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र ज्येष्ठ रहने वाला है और इस दिन आयुष्मान योग बनेगा। इसके अलावा बात करें अभिजीत मुहूर्त की तो इस दिन का अभिजीत मुहूर्त 11:44:57 सेकंड से लेकर 12:31:39 सेकंड तक का रहने वाला है।
कैसा है माँ स्कंदमाता का स्वरूप?
पहले बात करें मां स्कंदमाता के स्वरूप की तो स्कंदमाता को कुमार भगवान कार्तिकेय की मां कहा जाता है। मां का स्वरूप बेहद ही खूबसूरत और मनभावन है। माँ स्कंदमाता की गोद में स्कंद देव विराजमान हैं। मां स्वयं कमल के आसन पर विराजमान होती हैं। इस वजह से इन्हें पद्मासना देवी भी कहते हैं। इसके अलावा माँ स्कंदमाता को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती और उमा नाम से भी जाना जाता है।
मां का वाहन सिंह है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहते हैं कि स्कंदमाता की भक्ति और उपासना करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि इस दिन की पूजा में माता रानी को लाल कपड़े में सुहाग का सामान, लाल रंग के फूल, पीले चावल और एक नारियल बांधकर माता की गोद में रख दें। ऐसा करने से जल्द ही संतान प्राप्ति के योग बनने लगते हैं।
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इसके अलावा भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, मोक्ष का मार्ग सुलभ हो जाता है, माता की भक्ति करने से व्यक्ति के जीवन में सभी मार्ग खुलने लगते हैं। माता के पूजन के साथ कार्तिकेय भगवान की भी पूजा हो जाती है। सौरमंडल की देवी होने के चलते माता संपूर्ण तेज से युक्त हैं।
जो कोई भी व्यक्ति विशुद्ध मन से उनकी आराधना करता है उसे लाभ मिलता है। स्कंदमाता के दाहिने हाथ में कमल का फूल होता है बाएं हाथ वरद मुद्रा में है। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से योगी का मन विशुद्धि चक्र में स्थित हो जाता है। इस चक्र में अवस्थित होने पर व्यक्ति को समस्त अलौकिक बंधनों से मुक्ति में जाती है।
तो ऐसे पड़ा माँ का नाम स्कंदमाता
स्कंद कार्तिकेय की माता होने के चलते देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता का नाम मिला।
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माँ स्कंदमाता पूजा मंत्र- भोग- और शुभ रंग
अब आगे बढ़े और बात करें मां स्कंदमाता की पूजा में निश्चित रूप से शामिल करने वाले मंत्रों की तो इस दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र को अवश्य शामिल करें:
प्रार्थना मंत्र: सिंहासन नित्यं पद्माश्रितकतद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
और
ॐ देवी स्कन्दमातायै नम:
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मंत्र के बाद बात करें मां के प्रिय भोग की तो कहा जाता है की मां स्कंदमाता को केले बेहद ही प्रिय होते हैं। ऐसे में नवरात्रि की पंचमी तिथि के दिन पूजा में केले अवश्य शामिल करें। पूजा के बाद यह प्रसाद किसी ब्राह्मण को देना सबसे उचित माना जाता है। ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है। इसके अलावा आप चाहें तो आरती के बाद पाँच कन्याओं को केले का प्रसाद बांटें।
ऐसा करने से स्कंदमाता की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है और साथ ही संतान पर आने वाले सभी संकटों का भी नाश होता है। केले के अलावा मां भगवती को खीर का प्रसाद भी बेहद प्रिय होता है। ऐसे में आप इसे भी पूजा में शामिल कर सकते हैं।
इसके बाद रंग की बात करें तो मां की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है ऐसे में माँ स्कन्दमाता को श्वेत यानी कि सफेद रंग बेहद ही प्रिय माना गया है। आप माँ को प्रसन्न करने के लिए इस दिन की पूजा में सफेद रंग के वस्त्र धारण करें। देवी का श्रृंगार भी सफेद वस्त्रों और आभूषणों से करें। साथ ही पूजा में सफेद रंग के ताजे फूल भी अवश्य शामिल करें।
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शारदीय नवरात्रि पंचमी तिथि पर अवश्य आजमाएं यह अचूक उपाय
- अगर आपके भी जीवन में संतान सुख अभी तक नहीं बन पाया है तो नवरात्रि की पंचमी तिथि पर एक चुनरी में नारियल लपेट लें। इसके बाद नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें। मंत्र का जाप करते हुए इस नारियल को चुनरी समेत माँ स्कंदमाता के चरणों में अर्पित कर दे। मंत्र है: “नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भ सम्भवा. ततस्तौ नाशयिष्यामि विन्ध्याचलनिवासिनी”। पूजा के बाद इस नारियल और चुनरी को अपने शयन कक्षा में अपने सिरहाने रखें। इस छोटे से अचूक उपाय को करने से जल्द ही भक्तों की झोली संतान की किलकारी से माता अवश्य भर देती हैं।
- इसके अलावा अगर आपके विवाह में रुकावट आ रही है या आपके परिवार में किसी सदस्य के विवाह में रुकावट आ रही है तो नवरात्रि की पंचमी तिथि पर 36 लॉन्ग और छह कपूर लेकर इसमें चावल और हल्दी मिलाकर इसे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही विवाह के संदर्भ में आ रही सभी रुकावटें दूर होने लगेगी।
- अगर आपका व्यवसाय या नौकरी ठीक से नहीं चल रही है, आपको मनचाही सफलता नहीं मिल रही है, कठिन परिश्रम के बाद भी आप नतीजे से खुश नहीं हैं तो पंचमी तिथि पर लौंग और कपूर में अमलतास के फूल या कोई भी पीला फूल मिलाकर इससे मां दुर्गा को आहुति दें। ऐसा करने से जल्द ही आपको मनचाही तरक्की और सफलता मिलने लगेगी।
- अगर आपके जीवन में स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां निरंतर रूप से बनी हुई है या आपके परिवार में कोई बार-बार बीमार पड़ रहा है तो इस दिन 52 लॉन्ग और 42 कपूर के टुकड़े ले लें। अब इस पर नारियल की गिरी, शहद और मिश्री मिला लें और इससे हवन करें। ऐसा करने से स्वास्थ्य संबंधित सभी परेशानियां जल्द ही दूर होने लगेंगे।
- इसके अलावा अगर आपके काम में किसी तरह की कोई रुकावट आ रही है, विघ्न आ रहा है या बनते बनते काम बिगड़ जा रहे हैं तो नवरात्रि की पंचमी तिथि पर पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी अपने घर में ले आयें। अब इस मिट्टी पर दूध, दही, घी, अक्षत, रोली, अर्पित करें और इसके आगे दिया जलाएं। अगले दिन मिट्टी को वापस पेड़ के नीचे डाल दें। ऐसा करने से जल्द ही आपके जीवन से सभी रुकावटें और बाधाएँ दूर होने लगेगी।
- स्कंद माता का संबंध या यूं कहिए नवरात्रि की पंचमी तिथि का संबंध बुध ग्रह से भी जोड़कर देखा जाता है। ऐसे में अगर आपकी कुंडली में भी बुध ग्रह से संबंधित दोष मौजूद है या बुध ग्रह पीड़ित अवस्था में है और आपको सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो इस दिन स्कंदमाता की पूजा अवश्य करें। ऐसा करने से करियर और व्यवसाय में आपको निश्चित रूप से सफलता मिलेगी और आपकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण होगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
नवरात्रि के दसवें दिन नवमी तिथि पड़ रही है। अर्थात 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन शारदीय नवरात्रि 2024 की नवमी तिथि पड़ेगी।
नवरात्रि का पांचवा दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित माना गया है।
कहां जाता है कि देवी स्कंद माता को केले बेहद ही प्रिय होते हैं। ऐसे में इस दिन आप केले का भोग लगा सकते हैं या फिर आप खीर भी भगवती को अर्पित कर सकते हैं।
माँ स्कन्दमाता अपने भक्तों के जीवन में सुख शांति लेकर आने के लिए जानी जाती हैं और इसीलिए इनका प्रिय रंग सफेद है। इस दिन की पूजा में श्वेत रंग के वस्त्र अवश्य शामिल करें।